Need ka nirman phir phir Questions Answers | Odia Medium 10th class Hindi


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सरलार्थ : कवि कहते हैं कि पक्षी बार-बार अपने घोंसले बनाते हैं। घोंसले आंधियों में टूट (जाते हैं तो पक्षी उन्हें फिर से बनाते हैं। मनुष्य भी इसी तरह बिखरे हुए घर को बार-बार समेटता है क्योंकि उसके हृदय में अपने आत्मीय जनों के प्रति स्नेह होता है । स्नेह के प्रति उसकी यह तड़प लाजवाब है। जीने की यह उसकी इच्छा अदम्य है । वह बार बार घर का निर्माण करके उसमें प्रेम का आवाहन करता ।ऐसी भयंकर आंधी उठी कि आकाश में अचानक अंधेरा छा गया । धरती की धूल उड़कर आसमान में चली गई । धूल से लथपथ मटमैले बादलों ने पृथ्वी को चारों ओर से घेर लिया । सारे आकाश में धूल के बादल छा गए ।

ଓଡ଼ିଆ ଭାବାର୍ଥ : ଏଠାରେ ଜୀବ ହୃଦୟରେ ଜାତ ହେଉଥିବା ସ୍ନେହ ବିଷୟରେ ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଛି । କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ ପକ୍ଷୀ ନିଜର ବସା ବାରମ୍ବାର ତିଆରି କରେ । ଝଡ଼ରେ ନୀଡ଼ ଭାଙ୍ଗିଯାଏ କିନ୍ତୁ ପକ୍ଷୀ ପୁନର୍ବାର ତାକୁ ନିର୍ମାଣ କରେ । ସେହିପରି ମନୁଷ୍ୟ ମଧ୍ୟ ନିଜର ନିକ୍ଷିପ୍ତ ଘରକୁ ବାରମ୍ବାର ଆହରଣ କରେ । କାରଣ ତା ହୃଦୟରେ ନିଜ ଆତ୍ମୀୟ ଲୋକମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ସ୍ନେହ ଥାଏ । ସ୍ନେହ ପାଇଁ ତା’ର ଏହି ବ୍ୟାକୁଳତା ଅତୁଳନୀୟ । ଜୀବନଧାରଣର ତା’ର ଏହି ଇଚ୍ଛା ଅଦମ୍ୟ । ସେ ବାରମ୍ବାର ଘର ତିଆରି କରି ସେଥ‌ିରେ ସ୍ନେହକୁ ଆହ୍ଵାନ କରେ । ଭୟଙ୍କର ଝଡ଼ ଉଠିଲା । ଆକାଶରେ ହଠାତ୍ ଅନ୍ଧକାର ବ୍ୟାପିଗଲା । ଭୂଇଁର ଧୂଳି ଉଡ଼ି ଆକାଶରେ ପ୍ରସରିଗଲା । ଧୂଳିରୁ ପ୍ଲାବିତ ଧୂସର ବର୍ଣ୍ଣର ମେଘମାନେ ପୃଥିବୀକୁ ଚାରିଆଡୁ ଘେରିନେଲେ।


विचारबोध : भीषण विपत्ति में भी मुस्कुराने और गाने की प्रेरणा ।

सरलार्थ : कवि कहते हैं कि क्रोधित आकाश के वज्र के समान कठोर दाँतों के बीच भी उषा मुस्कुराती है। बादलों के भयभीत कर देने वाले घोर गर्जन से न डरते हुए पक्षियों की उड़ती हुई कतार मानों आकाश के सुर में सुर मिलाकर गाती है ।

ଓଡ଼ିଆ ଭାବାର୍ଥ : ଭୟଙ୍କର ବିପଦରେ ହସିବା ଓ ଗାଇବାର ପ୍ରେରଣା ଦେଇ କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ କୁପିତ ଆକାର ବଜ୍ରସମ କଠୋର ଦାନ୍ତ ମଝିରେ ଉଷା ହସୁଛି । ଭୀଷଣ ମେଘ ଗର୍ଜନକୁ ଭୟ ନ କରି ଆକାଶ ମାର୍ଗରେ ଉଡ଼ି-ଉଡ଼ି ପକ୍ଷୀମାନଙ୍କ ଧାଡ଼ି ଆକାଶର କଣ୍ଠରେ କଣ୍ଠ ମିଳାଇ ଗୀତ ଗାଏ ।


विचारबोध : आत्मविश्वास से भरा छोटा सा जीव बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना कर सकता है। 

सरलार्थ : एक चिड़िसा जिसके हृदय में घोंसला बनाने का दृढ़ निश्चय है वह अपने घोंसले के निर्माण के लिए एक-एक तिनका ढूँढकर ले जाती है। जीने की उसकी यह प्रबल आशा मार्ग में पड़ने वाली प्रत्येक बाधा का मुकाबला करने की शक्ति प्रदान करती है। मार्ग में बहने वाली उनचास प्रकार की प्रचण्ड हवाओं का वह आसानी से सामना कर लेती है तथा उनका अभिमान चूर करके उन्हें नीचा दिखाती है ।

ଓଡ଼ିଆ ଭାବାର୍ଥ : ଆତ୍ମବିଶ୍ଵାସରୁ ପରିପୂର୍ଣ ଗୋଟିଏ ସୂକ୍ଷ୍ମ ଜୀବ ବଡ଼ ବିପଦକୁ ସାମନା କରିପାରେ । ଗୋଟିଏ ଛୋଟ ଚଢ଼େଇ ଯାହା ହୃଦୟରେ ନୀଡ଼ ନିର୍ମାଣର ଦୃଢ଼ ନିଶ୍ଚୟ ଅଛି, ସେ ନିଜ ବସା ତିଆରି କରିବା ପାଇଁ ଶୁଖୁଲା ଘାସ ଖୋଜି-ଖୋଜି ନେଇଯାଏ । ଜିଇଁବାର ଏହି ପ୍ରବଳ ଆଶା ତାକୁ ତା ମାର୍ଗରେ ଆସୁଥିବା ସମସ୍ତ ବାଧାବିଘ୍ନର ମୁକାବିଲା କରିବା ପାଇଁ ଶକ୍ତି ଯୋଗାଇ ଦିଏ । ମାର୍ଗରେ ପ୍ରବାହିତ ଅଣସ୍ପଶ ପ୍ରକାର ପ୍ରବଳ ପ୍ରଭଞ୍ଜନଙ୍କୁ ସହଜରେ ମୁକାବିଲା କରିପାରେ ଓ ତାଙ୍କର ଗର୍ବ ମର୍ଦନ କରିପାରେ ।


विचारबोध : आकाश में काले बादलों के छा जाने से दिन में ही घुप्प अंधेरा हो जाने का वर्णन है ।

सरलार्थ : आकाश में बादल घिर आने से दिन में ही अन्धेरा छा गया । दिन रात जैसा हो गया । इसके बाद और अधिक काली रात आई । अन्धेरा इतना घना था कि ऐसा लग रहा था जैसे इस रात का फिर से सवेरा नहीं होगा ।

ଓଡ଼ିଆ ଭାବାର୍ଥ : ଆକାଶରେ କଳା ମେଘ ମାଡ଼ି ଆସିବାରୁ ଦିନରେ ଅନ୍ଧକାର ବ୍ୟାପିଗଲା । ଦିନ ରାତି ପରି ଲାଗିଲା । ଏହାପରେ ଆହୁରି ବେଶି କଳା ରାତି ଆସିଲା । ଅନ୍ଧାର ଏତେ ଘନ ଯେମିତି ଲାଗୁଥାଏ ଯେ ଏହି ରାତି ଆଉ ପାହିବ ନାହିଁ କି ସକାଳ ହେବ ନି ।


विचारबोध : अंधेरी रात के बाद फिर से सुबह के आने और घोर निराशा के बाद आशा की किरण आने का वर्णन है ।

सरलार्थ : रात के उपद्रवों से जनमानस भयभीत है। जीवन के कष्टों से कण-कण डरा हुआ है। लेकिन रात खत्म होती है और पूर्व दिशा से फिर उषाकाल की गुलाबी किरणें दिखाई देती है। अंधेरी रात के बाद पुनः पुनः पूर्व दिशा में उषा रुपी सुन्दरी को मनमोहन मुस्कान के साथ दर्शन देती है। दुःखों की रात के बाद फिर से सुख का सवेरा आता है । भयंकर दुःख के बाद सुख की यह किरण नए जीवन की प्रेरणा देती । यह स्नेह का आह्वान है

इसलिए पक्षी बार-बार अपने लिए घोंसला बनाता है और उसमें पुनः पुनः स्नेह का आह्वान करता है ।

ଓଡ଼ିଆ ଭାବାର୍ଥ : ଅନ୍ଧାର ରାତି ପରେ ପୁନର୍ବାର ଭୋର ହେବା ଓ ଘୋର ନିରାଶା ପରେ ଆଶାର କିରଣ ଆସିବାରୁ ବର୍ଣ୍ଣନା କରାଯାଇଅଛି ।କବି କହୁଛନ୍ତି ଯେ ରାତିର ଉପଦ୍ରବ ଯୋଗୁଁ ଜନସାଧାରଣ ଭୟଭୀତ । ଜୀବନର କଷ୍ଟଗୁଡ଼ିକରୁ ପ୍ରତ୍ୟେକ କଣିକ ଡରି ରହିଛି । କିନ୍ତୁ ରାତିକୁ ଯିବାକୁ ପଡ଼େ ଓ ପୂର୍ବ ଦିଗରେ ପୁନର୍ବାର ଉଷାର ନାଲି କିରଣ ଦୃଷ୍ଟିଗତ ହୁଏ । ଅନ୍ଧାର ରାତି ପରେ ଆଉ ଥରେ ପୂର୍ବ ଦିଗରେ ଉଷା ରମଣୀ ମନମୋହକ ମୃଦୁହାସ ସହ ଦର୍ଶନ ଦିଏ । ଦୁଃଖର ରାତି ପରେ ସୁଖର ସକାଳ ଆସେ । ଭୟଙ୍କର ଦୁଃଖ ପରେ ସୁଖର ଏହି ରଶ୍ମି ନୂଆ ଜୀବନ ପାଇଁ ପ୍ରେରଣା ଯୋଗାଏ ।

ତେଣୁ ପକ୍ଷୀ ବାରମ୍ବାର ନିଜ ପାଇଁ ବସା ତିଆରି କରେ ଓ ସେଥରେ ସ୍ନେହର ଆହ୍ଵାନ କରେ ।


विचारबोध : विनाश के विनाश के दुख से अधिक निर्माण के सुख का महत्वपूर्ण होता है।

सरलार्थ : अपने घर के विनाश से दुःख उत्पन्न होता है तथा निर्माण से सुख प्राप्त होता है । परन्तु निर्माण का सुख विनाश के दुख से अधिक होता है । विनाश के दुःख के भय से निर्माण का त्याग नहीं कियाजाता है । कितनी ही बार विनाश हो जाय जीव बार-बार निर्माण करता है ।

उसी प्रकार प्रलय कितनी ही बार खामोश कर दे मनुष्य पुनः रचना करके उस खामोशी को तोड़ता है और हर बार खुशी का नया गीत बनाता है। घोंसला कितनी बार टूटे, पक्षी बार-बार घोंसला बनाता है । मनुष्य को कितनी ही बार दुख मिले पर वह बार-बार प्रेम पाने की कोशिश करता है ।

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ଓଡ଼ିଆ ଭାବାର୍ଥ : ବିନାଶର ଦୁଃଖ ଠାରୁ ନିର୍ମାଣର ସୁଖ ଅଧ‌ିକ ଗୁରୁତ୍ଵପୂର୍ଣ୍ଣ । ନୀଡ଼ର ଧ୍ୱଂସ ହେଲେ ଦୁଃଖ ହୁଏ ଓ ନିର୍ମାଣ ହେଲେ ସୁଖ ହୁଏ | ବିନାଶର ଦୁଃଖରୁ ଭୟାକ୍ରାନ୍ତ ହୋଇ ନିର୍ମାଣର ସୁଖକୁ ତ୍ୟାଗ କରିହୁଏ ନାହିଁ । ଯେତେଥର ବିନାଶ ହେଉ, ଜୀବ ବାରମ୍ବାର ନିର୍ମାଣ କରେ ।

ସେହିପରି ପ୍ରଳୟ ଯେତେଥର ମନୁଷ୍ୟକୁ ନୀରବ କଲେ ମଧ୍ୟ ସେ ପୁନନିର୍ମାଣ କରି ନୀରବତାକୁ ଭାଙ୍ଗିଦିଏ ଓ ପ୍ରତିଥର ଖୁସିର ନୂଆ ଗୀତ ରଚନା କରେ । ବସା ଯେତେଥର ଭାଙ୍ଗିଲେ ବି ପକ୍ଷୀ ବାରମ୍ବାର ବସା ତିଆରି କରେ । ମଣିଷକୁ ଯେତେଥର ଦୁଃଖ ମିଳୁ, ସେ ବାରମ୍ବାର ପ୍ରେମ ପାଇବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରେ ।


Q&A

प्रश्न और अभ्यास :-

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए:

(क) आँधी के कारण दिन कैसा दिखने लगा और क्यों ?

उत्तर- ऐसी भयंकर आँधी उठी कि आकाश में अचानक अँधेरा छा गया । धरती की धूल उड़कर आसमान पर छा गई । धूल से लथपथ मटमैले बादलों ने पृथ्वी को चारों ओर से घेर लिया और सब ओर अंधेरा छा गया ।

(ख) आँधी की रात कैसी लग रही थी ?

उत्तर -आँधी की रात बहुत काली थी । अन्धेरा इतना घना था कि ऐसा लग रहा था मानों इस लम्बी रात का फिर से सवेरा नहीं होगा ।

(ग) तूफान की उग्रता से कौन-कौन से विनाश होने लगे ?

उत्तर-तूफान की उग्रता से विशालकाय पर्वत भी काँपने लगे । बड़े-बड़े विशाल वृक्ष जड़ समेत उखड़कर टूटकर गिर पड़े। मजबूत् महल और भवन डगमगा गए और पक्षियों के घोंसले तहस-नहस हो गए ।

 (घ) आँधी को कौन और कैसे नीचा दिखाता है ?

उत्तर-एक चिड़िया जिसका घोंसला नष्ट हो चुका है, पर फिर से घोंसला बनाने को कृतसंकल्प है । वह एक-एक तिनका ढूँढकर ले जाती है । जीने की यह दृढ़ इच्छाशक्ति विभिन्न प्रकार की प्रचण्ड आँधियों का सामना करने की ताकत देती है । वह चिड़िया अपने मकसद में कामयाब होकर आँधियों को नीचा दिखाती है ।

(ङ) आँधी तूफान में भी कौन मुस्कुराता था ?

उत्तर- काली अंधेरी रात में चारों ओर भय का वातावरण है । भीषण तूफान ने अपनी विनाश लीला चला रखी है। ऐसा लगता है आकाश रुपी क्रोधी राक्षस अपने वज्र के समान दाँतों से सब कुछ खा जाना चाहता है । पर उन भयंकर दाँतों के बीच उषा मुस्कुराती है ।

(च) नाश के दुख में किसका सुख नहीं दबता ?

उत्तर नाश के दुःख में निर्माण का सुख नहीं दबता है । विनाश के दुःख के भय से निर्माण का त्याग नहीं किया जाता । कितनी ही बार विनाश हो मनुष्य बार-बार निर्माण करता है क्योंकि निर्माण का सुख विनाश के दुख से अधिक होता है।

(छ) प्रलय की निस्तब्धता में किसका नव गान सुनाई पड़ता था ?

उत्तर - प्रलय की निस्तब्धता में सृष्टि का नवगान बार-बार सुनाई पड़ता है । प्रलय कितनी ही बार जीवन के शोर को खत्म करके खामोशी फैला दे, मनुष्य पुनः पुनः रचना करके हर बार नया गीत गाकर इस खामोशी को तोड़ देता है ।

(ज) गृहस्थी जोड़ने में आनेवाली किन विपत्तियों का उल्लेख कवि ने किया है ?

उत्तर - मनुष्य में अपने बच्चों और परिवार के दूसरे लोगों के प्रति स्नेहभाव होता है। इस स्नेह को पाने के लिए वह घर बनाता है, गृहस्थी जोड़ता है । पर विपत्तियाँ बार-बार आती हैं जो गृहस्थी जोड़ने में रुकावट पैदा करती है ।

(झ) 'विपत्तियों के बाद सुख के दिन आते हैं' कवि ने इस भाव को किस प्रकार व्यक्त किया है ?

 उत्तर - कवि कहते हैं कि विपत्ति के बाद सुख के दिन आते हैं। विनाश के बाद निर्माण होता है प्रलय के बाद पुन: सृजन होता है । भयानक अंधेरी रात के बाद मुस्कुराती उषा के दर्शन होते हैं ।

 (ञ) "नीड़ के निर्माण" से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर-मनुष्य की प्रेम प्राप्त करने की इच्छा बहुत प्रबल है । वह अपने आत्मीयजनों में इस प्रेम को ढूंढता है और उनके लिए घर बनाता है । विपत्तियाँ आती हैं और उसका आशियाँ बिखर जाता है परउसकी जीने के इच्छाशक्ति में, स्नेह पाने की आशा में और उसके आत्म विश्वास में कोई कमी नहीं आती है । इसलिए वह बार-बार अपने बिखरे हुए घर को समेटता है ।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दीजिए :

(क) आँधी उठने से नभ में क्या छा गया ?

उत्तर -आँधी उठने से नभ में अंधेरा छा गया ।

(ख) बादलों ने किस को घेरा ?

उत्तर - बादलों ने पृथ्वी को घेरा ।

(ग) उषा की मुस्कान कैसी थी ?

उत्तर - उषा की मुस्कान मनमोहक थी । 

(घ) बड़े विटप कैसे उखड़ कर गिरे ?

उत्तर - बड़े विटप जड़ समेत उखड़ कर गिरे । 

(ङ) तूफान में कैसा लग रहा था ?

उत्तर - तूफान में बड़े-बड़े पर्वत कांपते नजर आने लगे, बड़े महल और भवन डगमगाने लगे ।

(च) रात कैसी थी ?

उत्तर - रात बहुत काली थी ।

(छ) जन जन कैसे थे ?

उत्तर -  जन-जन भयभीत थे ।

(ज) कहाँ से उषा आई ?

उत्तर - उषा पूर्व दिशा से आई ।

(झ) घोंषले किससे विनिर्मित थे ?

उत्तर - घोंसले तिनकों से विनिर्मित थे ।

(ञ) गर्जनमय गगन के कंठ से कौन गाती थी ?

उत्तर गर्जनशील गगन के कंठ से पक्षियों की कतार गाती थी ।

(ट) चिड़िया चोंच में क्या लिए जा रही थी ?

उत्तरचिड़िया चोंच में तिनका लिए जा रही थी ।


भाषा - ज्ञान


1. निम्नलिखित के विपरीत शब्द लिखिए :

काला, अँधेरा, क्रुद्ध, नीचा, सुख, नाश, दबता, महल

विपरीत शब्द             

उत्तर

काला - सफेद

अंधेरा -प्रकाश

क्रुद्ध - शांत

नीचा - ऊँचा

सुख - दुख

नाश - सृजन

दबता - उठता

महल - झोंपड़ी

2.  निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए:

रात, बादल, चिड़िया, नीड़, सवेरा, निर्माण, गगन

उत्तर

--

शब्द             पर्यायवाची शब्द

रात             रात्रि, निशा, रजनी

बादल            मेघ, घन, नीरद

 चिड़िया        पक्षी, खग, विहंग

नीड़             घोंसला, आशियां, खोता कि क

सवेरा              सुबह, प्रातःकाल, प्रभात किए

निर्माण            रचना, सृजन, उत्पत्ति

गगन             आकाश, अम्बर, नभ


3. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ बताते हुए वाक्य में प्रयोग कीजिए :

निशा, वज्र, प्रलय, विहंगम, उत्पात, भूधर, प्राची

(क) निशा - चाँद निशा में निकलता है । 

(ख) वज्र - उसका हृदय वज्र की तरह कठोर है।

(ग) प्रलय - जल प्रलय के बाद विश्व खत्म हो गया था ।

(घ) विहंगम - प्रधान शिक्षक ने तैयारियों पर एक विहंगम दृष्टि डाली ।

(ङ) उत्पात - हमारी गली के कुत्ते बहुत उत्पात मचाते हैं। 

(च) भूधर  - बादल भूधरों पर वर्षा कराते हैं।

(छ) प्राची - प्राची में सूर्य उदय हुआ ।


4. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए :

(क) निस्तब्धता छाया हुआ है।

उत्तर - निस्तब्धता छाई हुई है।

(ख) काला रात आई ।

उत्तर - काली रात आई ।

(ग) चिड़िया चहचहा रहा है

उत्तर - चिड़िया चह चहा रही है ।

(घ) उषा मुस्कुराता है |

उत्तर उषा मुस्कुराती है ।

(ङ) सृष्टि की नव गान हो रही है ।

उत्तर - सृष्टि का नवगान हो रहा है ।

(च) कंठ में खगपति गाती है ।

उत्तर - कंठ से खग-पंक्ति गाती है ।

(छ) नीड़ की निर्माण होती है ।

उत्तर - नीड़ का निर्माण होता है ।

(ज) रात-सा दिन हो गई ।

उत्तर - रात-सा दिन हो गया ।


5.निम्नलिखित वाक्यों के खाली स्थान की पूर्ति कोष्ठक में दिए गए शब्दों से कीजिए :

(उषा की, तिनका, दुःख, कंकड़, बादलों ने)

(क) धूलि धूसर............भूमि को इस भाँति घेरा ।

(ख) प्राची से............मोहिनी मुसकान फिर-फिर !

(ग) डगमगाए जब कि...............-, ईंट पत्थर के महल-घर ।

(घ) नाश के....................से कभी दबता नहीं निर्माण का सुख ।

(ङ) एक चिड़िया चोंच में.......................लिए जो जा रही है ।

उत्तर - (क) बादलों (ख) उषा (ग) कंकड़ (घ) दुःख (ङ) तिनका


 अतिरिक्त प्रश्नोत्तर


1. निम्न पंक्तियों के अर्थ स्पष्ट कीजिए :
(क) रात के उत्पात भय से, भीत जन-जन, भीत कण-कण
किन्तु प्राची से उषा की, मोहिनी मुस्कान फिर-फिर ।

उत्तर - रात के उपद्रबों से जनमानस भयभीत है। जीवन के कष्टों से कण-कण डरा हुआ है । लेकिन रात खत्म होती है और पूरब से फिर उषाकाल की गुलाबी किरणें दिखाई देती हैं। मानों उषा रुपी सुन्दरी अपनी मनमोहक मुस्कान के साथ दर्शन देती है । भयंकर दुःख के बाद सुख की यह किरण नए जीवनकी प्रेरणा देती है ।


(ख) हाय तिनकों से विनिर्मित घोंसलों पर क्या न बीती !
डगमगाए जब कि कंकड़, ईंट, पत्थर के महल -घर !


उत्तर - भयंकर तूफान में कंकड़, पत्थर और ईंटों से बने विशाल और मजबूत महल और भवन ही डगमगा गए तो तिनकों से बड़े यत्नपूर्वक और अच्छी तरह बनाए गए घोंसलों का हाल तो बहुत बुरा हुआ होगा । उनमें रहने वाले पक्षियों पर क्या बीती होगी ?


2. निम्न प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दीजिए ।


(क) आकाश का विहंगम क्या करता है ?

उत्तर - तूफान में सबकुछ तहस-नहस हो जाने के बाद भी आशाका पक्षी कहीं छिपकर खुद को बचा लेता है । वह अपनी शक्ति समेट कर फिर से आसमान में उड़ता है और स्वाभिमान में अपनी छाती को फुलाता है ।


(ख) क्रुद्ध नभ में क्या होता है ?

उत्तर - क्रोधित आकाश के वज्र के समान कठोर दांतों के बीच भी उषा मुस्कुराती है । बादलों के भयभीत करदेने वाले घोर गर्जन से पक्षी डरते नहीं है। वे पंक्ति बनाकर उड़ते हुए आकाश के सुर में सुर मिलाकर गाते हैं ।


3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए ।

(क) आँधी के उठने से दिन कैसा हो गया ?

उत्तर - आँधी के उठने से दिन रात सा हो गया ।

(ख) रात आने से क्या लग रहा था ?

उत्तर - रात आने से लग रहा था कि इस रात का कभी सवेरा नहीं होगा ।

(ग) कण-कण भयभीत क्यों थे ?

उत्तर - रात के उत्पात भय से कण-कण भयभीत थे ।

(घ) प्राची से फिर-फिर क्या दिखाई देती है ?

उत्तर - प्राची से फिर-फिर उषा की मोहिनी मुस्कान दिखाई देती है ।

(ङ) हवा के झोंकों से कौन काँपने लगे ?

उत्तर - हवा के झोंकों से बड़े-बड़े पर्वत काँपने लगे ।

(च) तूफान में कौन डगमगाने लगे ?

उत्तर - तूफान में कंकड़, पत्थर और ईंट से बने महल और घर डगमगाने लगे ।

(छ) आशा का विहंगम क्या करता था ?

उत्तर - आशा का विहंगम फिर से आसमान में उड़कर स्वाभिमान में अपनी छाती को फुलाता है।


4. निम्नलिखित शब्दोंके लिंग बताइये ।

नीड़, नेह, आँधी, अंधेरा, भूमि, रात, दिन, सवेरा, प्राची, उषा, मुस्कान, झोंका, जड़, विटप, तिनका, ईंट, आशा, वक्ष, पंक्ति, चोंच, हवा, पवन, निस्तब्धता, सृष्टि

उत्तर  - 

पुलिंग : नीड़, नेह, अँधेरा, दिन, सवेरा, झोंका, विटप, तिनका, वक्ष, पवन

स्त्रीलिंग : आँधी, भूमि, रात, उषा, प्राची, मुस्कान, जड़, ईंट, आशा, पंक्ति, चोंच, हवा, निस्तब्धता, सृष्टि


5. निम्न शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

नेह, अंधेरा, भूमि, भूधर, निस्तब्धता लामा के के फाई

(क) नेह - स्नेह, प्रेम, प्यार

(ख) अंधेरा - तिमिर, तम, अंधकार

(ग) भूमि - धरा, धरती, मेदिनी

(घ) भूधर - पर्वत, पहाड़, गिरि

(ङ) निस्तब्धता - खामोशी, नीरवता, चुप्पी


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